शनिवार, 29 दिसंबर 2018

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं (1904-1948)


कविता-संग्रह


 मुकुल़

त्रिधारा

कहानी-संग्रह


बिखरे मोती (1932, भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंझलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल 15 कहानियां)

उन्मादिनी (1934, उन्मादिनी, असमंजस, अभियुक्त, सोने की कंठी, नारी हृदय, पवित्र ईर्ष्या, अंगूठी की खोज, चढ़ा दिमाग, व वेश्या की लड़की कुल 9 कहानियां)

सीधे साधे चित्र (1947, इसमें कुल 14 कहानियां) सुभद्रा कुमारी चौहान ने कुल 46 कहानियां लिखी!,

जीवनी


'मिला तेज से तेज' (1970, सुधा चौहान)

डायरी


बन्दिनी की डायरी (सुधा चौहान पुत्री सुभद्रा कुमारी चौहान)

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

बाबा नागार्जुन

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 जन्म 11 जून 1911
 निधन 05 नवम्बर 1998
 उपनाम यात्री
 जन्म स्थान ग्राम तरौनी, जिला दरभंगा, बिहार, भारत
 ------------कुछ प्रमुख कृतियाँ----------------
युगधारा, खिचड़ी विप्लव देखा हमने, पत्रहीन नग्न गाछ, प्यासी पथराई आंखें, इस गुब्बारे की छाया में
 ---------विविध-----------
मूल नाम वैद्य नाथ मिश्र। नागार्जुन ने मैथिली भाषा में यात्री नाम से लेखन किया। बाबा नागार्जुन का जन्म 1911 में ज्येष्ठ पूर्णिमा को हुआ था और उस वर्ष पूर्णमासी 11 जून को थी, इस आधार पर उनके जन्म की तारीख़ 11 जून है।

------------विषय सूची----------

कविता-संग्रह
1- हज़ार-हज़ार बाहों वाली  2- सतरंगे पंखोवाली
3- खिचड़ी विप्लव देखा हमने 4- युगधारा 5- इस गुब्बारे की छाया में
6- मैं मिलिट्री का बूढ़ा घोड़ 7- अपने खेत में
8- भूल जाओ पुराने सपने  9- रत्नगर्भ 10- पुरानी जूतियों का कोरस
11- भूमिजा
-----------कविताएँ------
1- मोर न होगा ...उल्लू होंगे 2- मायावती 3-प्रतिबद्ध हूँ, संबद्ध हूँ, आबद्ध हूँ
4- बर्बरता की ढाल ठाकरे  5- प्रेत का बयान 6- गुलाबी चूड़ियाँ 7- सच न बोलना  8- काले-काले 9- उनको प्रणाम 10- अकाल और उसके बाद  11- मेरी भी आभा है इसमें  12- शासन की बंदूक 13- चंदू, मैंने सपना देखा
बरफ पड़ी है  15- अग्निबीज 16- बातें 17- भोजपुर 18- जान भर रहे हैं जंगल में  19- सत्य 20- बादल को घिरते देखा है  21- बाकी बच गया अण्डा 22- मेघ बजे  23- घन-कुरंग 24- फूले कदंब 25- खुरदरे पै
26- अन्न पचीसी के दोहे  27- तीनों बन्दर बापू के 28- आये दिन बहार के
29- भूले स्वाद बेर के 30- आओ रानी 31- मंत्र कविता 32- इन घुच्ची आँखों में  33- जी हाँ , लिख रहा हूँ 34- घिन तो नहीं आती है 35- कल और आज 36- भारतीय जनकवि का प्रणाम 37- कालिदास 38- तन गई रीढ़
39- यह तुम थीं 40- सुबह-सुबह 41- लालू साहू 42- सोनिया समन्दर
43- शायद कोहरे में न भी दीखे  44- फुहारों वाली बारिश 45- बादल भिगो गए रातोंरात 46- शैलेन्द्र के प्रति 47- यह दंतुरित मुसकान 48- फसल
49- अपने खेत में 50- बाघ आया उस रात  51- विज्ञापन सुंदरी
52-मनुपुत्र दिगंबर  53- जान भर रहे हैं जंगल में  54- सच न बोलना
55- नया तरीका 56- चमत्कार 57- नाहक ही डर गई, हुज़ूर
58- पुलिस अफ़सर 59- उषा की लाली

----------मैथिली कविताएँ----------
नागार्जुन मैथिली भाषा में यात्री नाम से रचनाएँ लिखते थे।
--------संस्कृत  कविताएँ---------
1-लेनिन स्तोत्रम्  2- देशदशकम्शीते 3- वितस्ता 4- चिनार-स्मृतिः
5- डल झील 6- मिजोरम 7- भारतभवनम्
---------बांग्ला कविताएँ--------
1- भावना प्रवण यायावर 2- अघोषित भारे 3- भाबेर जोनाकि
4- आमार कृतार्थ होयछी 5- आमि मिलिटारिर बूड़ो घोड़ा
6- निर्लज्य नाटक की दरकार नाम-टाम बलार

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

Hindi ke pramukh aanchalik upanyas हिन्दी के प्रमुख आंचलिक उपन्यास

         हिन्दी के प्रमुख आंचलिक उपन्यास

1. देहाती दुनिया - 

शिवपूजन सहाय 1925 (गोपाल राय के अनुसार हिन्दी का पहला आंचलिक उपन्यास) 

2. मैला आंचल -1954

फणीश्वर नाथ रेणु (मैला अंचल को विभिन्न विद्वानों द्वारा हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास माना गया है)

3. परती परिकथा- 1957

फणीश्वर नाथ रेणु

4. रतिनाथ की चाची 1948-

बाबा नागार्जुन( मिथिला अंचल की सामाजिक समस्याओं का यथार्थ चित्रण)

5. अलग अलग वैतरणी 1967-

शिवप्रसाद सिंह (इसमें स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के गांव में आने वाले बदलाव का यथार्थ चित्र खींचा गया है कथा के केंद्र में 'करैता' गांव हैं जो आधुनिक भारत के सभी गांव का प्रतिनिधित्व करता है)

6. राग दरबारी 1968-

श्रीलाल शुक्ल (राग दरबारी व्यंगात्मक शैली में लिखा गया हिंदी का पहला उपन्यास है जिसकी कथा का केंद्र शिवपाल गंज नामक गांव है)

7. पानी के प्राचीर 1961

रामदरश मिश्र (पानी के प्राचीर उपन्यास गोरखपुर जिले के पांडे पुरवा गांव को केंद्र में रखकर लिखा गया है। जिसमें पानी के दीवारों से घिरे इस गांव की गरीबी का चित्र लेखक ने बड़े ही कुशलता पूर्वक खींचा है)

8. कोहबर की शर्त

केशव प्रसाद मिश्र (इस उपन्यास में बलिया जिले के 2 गांव बलिहार और चौबेपुर को केंद्र में रखा गया है। उल्लेखनीय है कि लोकप्रिय चलचित्र 'नदिया के पार' इसी उपन्यास पर फिल्मांकन किया गया है।)

9. बोरीवली से बोरीबंदर तक 1959

शैलेश मटियानी (मुंबई के भागदौड़ और यांत्रिक जीवन का अंकन)

10. रथ के पहिए 1953

देवेंद्र सत्यार्थी (इस उपन्यास में मध्य प्रदेश के गौड़  जातियों के रहन सहन, वहां की संस्कृति आदि का चित्रण किया गया है) 

सोमवार, 10 दिसंबर 2018

Premchand ke upanays प्रेमचंद के के उपन्यास

                      प्रेमचंद के उपन्यास

काल क्रम अनुसार 

प्रेमा 1907
रूठीरानी 1907
सेवासदन 1918
वरदान 1921
प्रेमाश्रम 1922
रंगभूमि 1925
कायाकल्प 1926
निर्मला 1927
प्रतिज्ञा 1929
गबन 1931
कर्मभूमि 1933
गोदान 1935
मंगलसूत्र (अपूर्ण) 1936

Hindi sahitya ke important upanyas हिन्दी साहित्य के पांच महत्त्वपूर्ण उपन्यास

हिन्दी साहित्य के पांच महत्त्वपूर्ण उपन्यास 

हिन्दी साहित्य के सभी सुधी पाठकों का स्वागत है, दोस्तो आज हम हिन्दी साहित्य के महत्वपूर्ण पांच उपन्यास पर चर्चा करेंगे।

1. गोदान- 

प्रेमचंद का यह उपन्यास हिंदी साहित्य की अमर श्रेष्ठ कृति मानी जाती है। इसका प्रकाशन 1936 में हुआ था। प्रेमचंद द्वारा लिखित यह उनका अंतिम पूर्ण उपन्यास है। वास्तव में प्रेमचंद के उपन्यासों में एक तरफ तो किसान जीवन का विशद चित्रण मिलता है, वहीं दूसरी ओर उनमें पतनशील और उदीयमान सामाजिक शक्तियों की असाधारण पहचान दिखाई देती है। किसान जीवन के साथ इन शक्तियों के द्वंद्व को भी प्रेमचंद ने सफलता से चित्रित किया है। उनके उपन्यासों में ‘गोदान’ अनेक अर्थों में सर्वथा अनूठी रचना है। इसमें मुनाफे और मेहनत की दुनिया के बीच गहराती खाईं को उन्होंने बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। वैसे तो उनके दूसरे उपन्यासों में भी इसका चित्रण दिखाई देता है लेकिन ‘गोदान’ में आकर इसका रूप काफी सूक्ष्म और संकेतात्मक हो गया है। पूरा कथानक सीमांत किसान होरी और धनिया दंपति के आसपास घूमता हुआ ज़मींदारों और स्थानीय साहूकारों के हाथों गरीब किसानो का शोषण और उनके अत्याचार की सजीव व्याख्या है। भारतीय ग्रामीण जन-जीवन का खूबसूरत चित्रण तथा समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं के प्रति लेखक का दृष्टिकोण खोखलेे आदर्श को दिखाते हुए यथार्थ तक पहुंचना है।

2. शेखर :एक जीवनी-

 शेखर एक जीवनी सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय का पहला उपन्यास है। अज्ञेय एक सशक्त मनोवैज्ञानिक उपन्यासकार है। शेखर एक जीवनी दो भागों में प्रकाशित है जिसका पहला भाग 1940 में तथा दूसरा भाग 1944 में प्रकाशित हुआ था। शेखर एक जीवनी फ्लैशबैक शैली में लिखी गई हिंदी की पहली ओपन्यासिक कृति है। इसका नायक शेखर एक क्रांतिकारी है उसे फांसी की सजा मिली है। वह अपने जीवन के अंतिम रात को अपनी संपूर्ण अतीत को एक बार पुनः जी लेना चाहता है। शेखर,शशि, सरस्वती मणिका,  शांति, शीला, शारदा आदि इस उपन्यास के प्रमुख पात्र हैं। विद्वानों ने शेखर एक जीवनी की आलोचना प्रकाशमान पुच्छल तारा कहकर किया है।

3.मैला आंचल-

मैला आंचल हिंदी का पहला आंचलिक उपन्यास माना जाता है। इसके लेखक फणीश्वर नाथ रेणु जी हैं।  मैला आंचल का प्रकाशन 1954 में हुआ था। इसमें बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज ग्राम को कथा का मुख्य केंद्र बनाया गया है। रेणु जी उपन्यास की भूमिका में स्वयं लिखते हैं इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें गरीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, बाह्याडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है।

4. गुनाहों का देवता-

गुनाहों का देवता हिंदी की सर्वाधिक पढ़ी जाने वाली लोकप्रिय उपन्यासों में से एक है।  इसके लेखक धर्मवीर भारती जी है।  इसका प्रकाशन 1949 में हुआ था। उपन्यास में चंदर और सुधा के करुण  प्रेम प्रसंग का वर्णन है।

5. एक इंच मुस्कान-

राजेंद्र यादव और उनकी पत्नी (लेखिका)मन्नू भंडारी की यह संयुक्त कृति है। इसका प्रकाशन 1963 में हुआ था। इस उपन्यास में अमर, रंजना और अमला की त्रिकोणीय प्रेम कथा है। पत्नी के अलावा गैर स्त्री से संबंध होने पर मनुष्य की क्या दुर्गति होती है और कैसे उसका परिवार बिखर जाता है वह किस तरह एक इंच मुस्कान के लिए जीवन भर तड़पता है उपन्यास का मुख्य कथानक है। 


हिंदी साहित्य में प्रथम

        हिंदी साहित्य में प्रथम

हिंदी साहित्य की प्रथम रचना-श्रावकाचार
प्रथम कवि-सरहपा 
प्रथम महाकाव्य - पृथ्वीराज रासो 
प्रथम महाकाव्यकार - चंदबरदाई
 प्रथम उपन्यासकार - परीक्षा गुरु 
प्रथम आत्मकथा - अर्थ कथानक
 प्रथम कहानी- इंदुमती 
प्रथम एकांकी- एक घूंट 
प्रथम डायरी - वेद तीर्थ की जेल डायरी 
प्रथम गीतनाट्य - करुणालय
प्रथम दलित आत्मकथा - अपने अपने पिंजरे 
प्रथम जीवनी-दयानंद दिग्विजय
 प्रथम गद्यकाव्य - साधना( रामकृष्ण दास)
प्रथम मौलिक - नाटक नहुष 
प्रथम भेंट वार्ता - कवि दर्शन 
प्रथम निबंध-सुरसुरा निर्णय
 प्रथम रीति ग्रंथ - हिततरंगिणी 
प्रथम रीति कवि - केशवदास 
प्रथम पत्रिका- उदंड मार्तंड
 प्रथम रेखाचित्र - बोलती प्रतिमा 
प्रथम संस्मरण - पदम पराग


आचार्य रामचंद्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन भाग 2

आचार्य रामचंद्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन भाग 2

1- भक्ति की निष्पत्ति प्रेम और श्रद्धा के योग से होती है।
2- इसमें कोई संदेह नहीं कि कबीर ने ठीक मौके पर जनता के उस बड़े भाग को संभाला जो नाथपंथियों   के प्रभाव से प्रेम भाव और भक्ति रस से शून्य पड़ चुका था।
3- कबीर तथा अन्य निर्गुण पंथी संतो के द्वारा अंतस्साधना में रागात्मिका भक्ति और ज्ञान का योग तो हुआ पर कर्म की दशा वहीं रही जो नाथपंथियों के यहां थी।
4- कबीर ने अपनी झाड़ फटकार के द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों का कट्टरपन दूर करने का जो प्रयास किया वह अधिकतर चिढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, हृदय को स्पर्श करने वाला नहीं।
5- कबीर की भाषा बहुत परिष्कृत और परिमार्जित ना होने पर भी उनकी उक्तियों में कहीं-कहीं विलक्षण प्रभाव और चमत्कार दिखाई देता है, प्रतिभा उनमें प्रखर थी इसमें संदेह नहीं। 

रविवार, 9 दिसंबर 2018

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन

         आचार्य रामचंद्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन
1- साहित्य जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब है।
2- ह्रदय की मुक्त अवस्था के लिए किया हुआ शब्द विधान काव्य है।
3- जिस समय मुसलमान भारत में आए थे उस समय सच्चे धर्म भाव का बहुत कुछ ह्रास हो चुका था परिवर्तन के लिए बहुत बड़े धक्के की आवश्यकता थी।
4- भक्ति का जो सोता दक्षिण की ओर से धीरे धीरे उत्तर की ओर पहले से ही आ रहा था, राजनीतिक परिवर्तन के कारण शून्य पड़ते हुए जनता के हृदय क्षेत्र में फैलने के लिए पूरा स्थान मिला।
5-अपने पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शक्ति और करुणा की ओर ध्यान ले जाने के अतिरिक्त दूसरा मार्ग ही क्या था। 

आप हुदरी रमणिका गुप्ता NET/JRF

                          हिन्दी मीमांसा  आपहुदरी (आत्मकथा) -रमणिका गुप्ता मह्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 1. लेखिका रमणिका गुप्ता का जन्म कब और ...