आचार्य रामचंद्र शुक्ल के महत्वपूर्ण कथन भाग 2
1- भक्ति की निष्पत्ति प्रेम और श्रद्धा के योग से होती है।
2- इसमें कोई संदेह नहीं कि कबीर ने ठीक मौके पर जनता के उस बड़े भाग को संभाला जो नाथपंथियों के प्रभाव से प्रेम भाव और भक्ति रस से शून्य पड़ चुका था।
3- कबीर तथा अन्य निर्गुण पंथी संतो के द्वारा अंतस्साधना में रागात्मिका भक्ति और ज्ञान का योग तो हुआ पर कर्म की दशा वहीं रही जो नाथपंथियों के यहां थी।
4- कबीर ने अपनी झाड़ फटकार के द्वारा हिंदुओं और मुसलमानों का कट्टरपन दूर करने का जो प्रयास किया वह अधिकतर चिढ़ाने वाला सिद्ध हुआ, हृदय को स्पर्श करने वाला नहीं।
5- कबीर की भाषा बहुत परिष्कृत और परिमार्जित ना होने पर भी उनकी उक्तियों में कहीं-कहीं विलक्षण प्रभाव और चमत्कार दिखाई देता है, प्रतिभा उनमें प्रखर थी इसमें संदेह नहीं।
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